Monday, February 11, 2008

शाम सुरीली एक जाम नशीली - Kavita, Geet

शाम सुरीली एक जाम नशीली, हम बैठे बैठे कुछ गुनगुनाये,
कहकहा कुछ यू ही कह जाए, दिल्लगी में दिल कही खो जाए,
यू ही खोते पाते - पाते खोते, हम अपने आप से मिल जाए,
हम अपने आप से मिल जाए |

मय की मधु मन मन की बात को छलक छलक दोहराती है,
हर बूंद बूंद बहती गाथा सब राग के गीत सुनाती है |
छन छनन छनन - सर सनन सनन, मय छलक छलक यू मुस्काय
हम अपने आप से मिल जाए |

सकी का साथ जैसे श्याम राग, संग सवप्न लोक ले जाती है
आँखो-आँखो में चुभती राते एक सुबह की प्यास जगती है |
मय चुपके चुभती आँखो में एक शीतल साथ दे जाए,
हम अपने आप से मिल जाए |